बुधवार, सितंबर 16, 2009

मेरे यकीन का जब उसने इम्त्तिहान लिया...


- उमेश पाठक
मेरे यकीन का जब उसने इम्त्तिहान लिया॥
जो सच नही था ,उसको भी उसने मान लिया !
दिल को समझाने की कोशिश मेरी बेकार हुयी,
मेरे दिल ने भी तो उसी का कहा मान लिया !
बेवफाई-वफ़ा ,सभी है,पर यकीन के बाद ,
आसमान भी तो मिल जाता है ,ज़मीन के बाद ,
जिसमे बसती है , दुनिया मेरी ,
उसने मुझसे मेरा ज़मीनों-आसमान लिया!
मेरे यकीन का जब उसने इम्त्तिहान लिया॥
जो सच नही था ,उसको भी उसने मान लिया !

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