गुरुवार, अप्रैल 16, 2009

रघुकुल के राम !


मिथक राम है-राम नही थे,कल कह दोगे श्याम नही थे !
मेरा मन तो ये कहता है,मिथ रघुकुल के राम नही थे!
सरयू तट का ताना -बना नगर अयोध्या बड़ा पुराना ,
ज्येष्ठ पुत्र रजा दशरथ के ,रामचंद्र का राजघराना!
राम सूर्य थे सूर्यवंश के ,अमर्यादित नाम नही थे!
सदियों लिखा,हाल ने लिखा,जिन्हें हजारो साल ने लिखा,
दौर हरेक हर काल ने लिखा,अल्लामा इक़बाल ने लिखा !
राम इमामे हिंद हुए हैं, धूर्त कहे इमाम नही थे !
लोक ज्ञान निर्वात करेंगे ,शास्त्र ज्ञान की बात करेंगे,
घट -घट में जब राम बसे है,राम पे क्या शास्त्रार्थ करेंगे!
भोतिक सुख पाने वालो में ,अध्यात्मिक आयाम नही थे!
अब ख़ुद से इंसाफ करो मन,ख़ुद से ख़ुद को माफ़ करो मन!
राजनीती से धर्म अलग है,पूर्वाग्रह को साफ करो मन!
आज राम तो कल कह दोगे,पयाम्ब्रे इस्लाम नही थे!
अदि अंत और आज राम हैं,मानस के सिरताज राम हैं!
राम ही मर्यादा पुरोषत्तम,सबके गरीबनेवाज राम हैं!
बिना राम के कोई मनोरथ,भाव कोई निष्काम नही थें!
मिथ रघुकुल के राम नही थे!
मिथ रघुकुल के राम नही थे!

(यह रचना मेरे परम मित्र और कवि डॉ० एन टी खान की सोच का परिणाम है,उनकी संस्तुति से इसे प्रकाशित कर रहा हूँ!कवि डॉ० एन टी खान होमियोपथ के योग्य चिकित्सक है और उत्तर भारत में अपनी काव्य क्षमता से उन्होंने अपनी जगह बनाई है - उमेश पाठक )

3 टिप्‍पणियां:

  1. यदि लोग कह दें कि राम नहीं थे तो क्या फर्क पड़ जाएगा? राम थे या नहीं थे यह प्रश्न गौण है। रामं मिथक ही सही, पर विचार जगत में उन का अस्तित्व पल पल बढ़ा है घटा नहीं है। राम अजन्मे और अमर हैं।

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  2. डॉ . खान जैसी सोच वाले दो चार और हो जाये तो राम के नाम पर दूकान चलाने वाले को दूसरा रोज़गार खोजना पड़ेगा .

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  3. इस रचना के रचनाकार ही नहीं प्रेरणा देने वाले को भी मेरी तरह से धन्यवाद जिसकी प्रेरणा से इस तरह की रचना हुई वैसे उमेश भिया आपकी वो वाली रचना अगर यहाँ POST करते तो मजा AA जाता सोच NAHE होंगे कौन सी ( हे कंप्यूटर YUG की .......... ? YAD आया BALIYA का RASTA और पता नहीं चला की हम कब BALIYA PAHUCH GAYE

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