
उमेश पाठक
क्या है ज़िन्दगी?अपने आप में ये बड़ा सवाल है! लगातार जीते चले जाना उतार -चढाव को झेलना या जिंदादिली?जवाब कोई एक नही हो सकता ,ये सारी बातें जिंदगी में शामिल है ,वास्तव में जिंदगी एक फूल के जैसी है,जिसके अलग-अलग हिस्सों में कई रंग होते हैं!अगर उन्हें अलग कर दिया जाए तो उनकी खूबसूरती ख़त्म हो जाती है ,वैसे ही दुःख-सुख ,उतार-चढाव,लाभ-हानि,जीवन-मरण ,खोना-पाना और मिलना-बिछड़ना जिंदगी के रंग हैं!ज़िन्दगी की रौनक सभी रंगों से है!अलग -अलग सभी रंग सुंदर ज़रूर होते हैं लेकिन उनमे इन्द्रधनुष वाली बात नही आती!यही हाल ज़िन्दगी का भी है !सभी रंग मिल कर जिंदगी को "ज़िन्दगी"बनाते हैं!कुछ शायरों की नज़र में जिंदगी-
- जिंदगी कैसी है पहेली हाय,कभी ये हसाए कभी ये रुलाये .....
- ज़िन्दगी प्यार का गीत है ,जिसे हर दिल को गाना पड़ेगा...
- जीवन क्या है ,चलता फिरता एक खिलौना है,आती साँस को पाना जाती साँस को खोना है.....
- ये जीवन है,इस जीवन का यही है -यही है रंग-रूप....
- ज़िन्दगी का सफर ,है ये कैसा सफर, कोई समझ नही कोई जाना नही.......
कुल मिला कर सभी रंग ज़िन्दगी में शामिल है और हमें उसे उसी वास्तविक रूप में स्वीकार करना चाहिए,तभी हम जिंदगी को समझ सकते हैं और उसका आनंद ले सकतें हैं!
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