शुक्रवार, जनवरी 23, 2009

कोई दीवाना कहता है....कुमार विश्वास


कोई दीवाना कहता है ,कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेताबी तो बस बादल समझता है!
तू मुझसे दूर कैसी है,मैं तुझसे दूर कैसे हूँ ,
ये तेरा दिल समझता है; या मेरा दिल समझता है!
मोहबत एक एहसासों कि पावन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था,कभी मीरा दीवानी है!
यहाँ सब लोग कहतें हैं मेरी आँखों में आंसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है,जो न समझे तो पानी है!
समंदर पीर का दिलं में मगर मैं रो नहीं सकता ,
ये आंसू प्यार के मोती हैं ,इनको खो नहीं सकता!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना ले पर, मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया,वो तेरा हो नहीं सकता!
भ्रमर कोई कुमुदिनी पर मचल बैठा तो हंगामा ,
हमारे दिल में कोई खाब पल बैठा तो हंगामा !
अभी सब डूब कर सुनते थें यूँ किस्से मोहब्बत के
जो अफसाना हकीकत में ही ढल बैठा तो हंगामा !
कोई दीवाना कहता है,कोई पागल समझता
है मगर धरती की बेताबी तो बस बादल समझता है!

(भारत के हिन्दी कविता के सशक्त हस्ताक्षर कुमार विश्वास की ये रचना जाने-अनजाने में किसी को भी फ्लैशबैक में पहुँचा देती है!प्रेम एक शाश्वत अनुभूति है,इसे सहज अनुभव से समझा जा सकता है!)

2 टिप्‍पणियां:

  1. Namaskar Pathakji !
    Aapki kavitayen bahut achchi lagi. abhi aap kya naya karne ja rahe hain?
    Malay
    BHU

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  2. Umeshji !
    Aap koi na koi vani me hi rahte hain Aakashvani.. FM vani.. Blogvani....
    Malay

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