शनिवार, अगस्त 14, 2010

आज़ादी का मतलब जिम्मेदारी है !




- उमेश पाठक
आप किसी चीज के बारे में लगातार पढ़ते रहे हों, फिर भी उसे सच्चे अर्थों में तभी समझ सकते हैं, जब आप उसे अनुभव करें। मसलन, हम रोज बलात्कार, हादसों आदि के बारे में पढ़ते हैं। पर, हमें दर्द का अहसास तभी होता है जब हमारे किसी करीबी के साथ ऐसा कुछ होता है। तो आजादी की लड़ाई की कहानी किताबों में पढ़ कर और फिल्मों में देख कर बड़ी हुई यह पीढ़ी कभी इस लड़ाई की गंभीरता महसूस कर सकती है, मुझे यकीन नहीं होता। वे इसे समझें या महसूस करें, ऐसी उम्मीद पालना भी ठीक नहीं होगा

संघर्ष हमें जिम्‍मेदारी का अहसास कराता है, क्‍योंकि हम उसका महत्‍व समझ पाते हैं, जो हमारे पास है। जब मैं बच्चा था तो मुझे हर आफत से बचाया जाता था। अगर मैं गिरता तो मां-पिताजी दौड़ कर आते, मुझे उठाते, शरीर में लगी धूल झाड़ते और समझाते कि फर्श पर चींटी थी जिसने मुझे गिराया। मेरे गिरने में कभी मेरी गलतीनहीं होती थी। मुझे यह समझने में थोड़ा वक् लगा कि दरअसल मैं अपनी गलती की वजह से गिरा करता था। मैंइसलिए गिरता था, क्योंकि मैं लापरवाही करता था।‍ ‍ ‍

हम अपने दोस्तों, करीबियों और परिवार वालों के साथ भी यही करते हैं। जब कोई गलती होती है तो कुछ ऐसा कारण बताते हैं जो हमारे वश में नहीं होता। सामने वाले की गलती थी या वह लापरवाही बरत रहा था। पर सच यह है कि आप जो कुछ भी करते हैं, उसके लिए आप ही जिम्मेदार होते हैं। हम अपने बच्चे को यह बताते हुए बड़े करते हैं कि उसकी गलती नहीं है और एक दिन हम उसी से उम्मीद पाल बैठते हैं कि वह जिम्मेदारी उठाए। हम यह नहीं समझ पाते कि हमने उसे कभी जिम्‍मेदारी का अहसास कराया ही नहीं। यही कारण है कि वह इसी सोच के साथ बड़ा होता है कि वह गलत हो ही नहीं सकता।

जिम्मेदारी की शुरुआत बचपन से ही होती है। अगर हम उसे शुरू से ही गलती के लिए जिम्मेदार नहींबताएंगे तो वह कभी जिम्मेदारी लेना नहीं सीखेगा। आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह आगे चलकर अपनी सोच, व्यवहार बदल कर अचानक जिम्मेदार हो जाएगा।‍‍ ‍‍ ‍‍


जिम्मेदारी का अहसास किए बिना आजादी का कोई मतलब नहीं है। जिम्मेदारी के अहसास का मतलब यहसमझना है कि आप क्या कर सकते हैं और आपको क्या करना चाहिए। इसका मतलब यह समझना है कि आपखुद के प्रति जवाबदेह हैं। हर चीज की तरह यह भी ऐसी चीज है, जो आदमी वक् और अनुभव के साथ सीखता है।बशर्ते उसे सही रास्ता दिखाया जाए। ऐसा नहीं कि उसे पिंजड़े में रखा जाए और फिर अचानक एक दिन उड़ने केलिए कह दिया जाए। वह नहीं उड़ पाएगा और उड़ा भी तो गलत दिशा में उड़ जाएगा, क्योंकि कभी उसे इस बारे मेंआगाह किया ही नहीं गया है। सो, अगर वह जिम्मेदार नहीं है तो आजादी का मतलब नहीं समझेगा। तो जिसनेसंघर्ष नहीं किया है, उससे आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि आजादी के सही मायने समझे।‍‍ ‍‍ ‍ ‍ ‍ ‍ ‍

आजादी का मतलब है कि आप जो कर रहे हैं, उसके लिए केवल खुद को ही जिम्‍मेदार मानिए। और अगर कोई अपनी आजादी का मतलब नहीं समझता है तो उससे देश की आजादी का मतलब समझने की उम्‍मीद करना बेमानी है।

सीता रावन राम का करे विभाजन लोग,

एक ही तन में देखिये तीनो का संजोग !


जब तक हम इसे हर दिन अपनी जिंदगी की छोटी-छोटी बातों में नहीं आजमाएंगे, तब तक हर किसी को आजादीके मतलब समझाने का कोई फायदा नहीं है। हम जो काम रोज करते हैं, जो फैसले लेते हैं, उसके लिए जिम्मेदारीउठाना शुरू करें। इसकी शुरुआत अपने घर से ही करें तो यकीनन हम हर किसी को आजादी और इसके लिए लड़ीगई लड़ाई की गंभीरता का अहसास करा सकते हैं।

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