गुरुवार, फ़रवरी 19, 2009

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ...


कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।

एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,एक झूठ है आधा सच्चा सा ।

जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,एक बहाना है अच्छा अच्छा सा ।

जीवन का एक ऐसा साथी है ,जो दूर हो के पास नहीं ।

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।

हवा का एक सुहाना झोंका है ,कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा ।

शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,कभी अपना तो कभी बेगानों सा ।

जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं ।

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।

एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,

यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है ।

यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,

पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है ।

यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,

पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं ।

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं..

2 टिप्‍पणियां:

  1. एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
    एक झूठ है आधा सच्चा सा .
    जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
    एक बहाना है अच्छा अच्छा सा
    nice poem.....i liked it very much

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