शनिवार, अगस्त 27, 2011

सीखें इंटर्नशिप के दौरान .

- उमेश पाठक
किसी भी प्रोफशनल कोर्स में इंटर्नशिप का बड़ा ही महत्व होता है! ये वो समय होता है जब हम न केवल कुछ नया सीख रहे होते हैं बल्कि आने वाले दिनों की नीव भी तैयार करते हैं ! बहुत से लोग इसे गंभीरता से न ले कर गलती कर बैठते होएँ जिसका बाद में खामियाजा भुगतना होता है ! इंटर्नशिप में कं के साथ प्रोफेशनल रिश्ते भी बनते हैं जो बाद में बड़े कारगर होते हैं,लेकिन ये सब आप की अपनी योग्यता .क्षमता और व्यवहार कुशलता पार निर्भर है !
इंटर्नशिप से क्या उम्मीदें हैं, यह बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए। नियोक्ता और आप दोनों को ही यह स्पष्टता होनी चाहिए। यदि यह सब कुछ लिखित रूप में हो तो और अच्छा है।

एमर्जेसी काल का लाभ उठाएं:

इंटर्नशिप की शुरूआत में जितने संभव हों सवाल पूछ डालें। यह एमजेर्ंसी काल होता है, इसका अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। क्योंकि शुरुआत में आपसे उम्मीद नहीं की जाती कि आपको सब कुछ पता होगा, लेकिन जितना जल्दी आप सीख लेंगे उतना बेहतर होगा। आपकी परफॉर्मेस रिपोर्ट इसी पर निर्भर करेगी।

परफॉर्मेस फीडबैक:

अपने सीनियर लोगों से नियमित रूप से मुलाकात करें, ताकि आप अपनी उम्मीदों पर खरे उतर सकें। अपने काम की सही फीडबैक जानने का यही सही तरीका है। इससे दूसरा लाभ यह होता है कि आप हमेशा सही रास्ते पर बने रहते हैं।

अवलोकन क्षमता बढ़िया रखें:

कर्मचारी के व्यवहार को लेकर हर संगठन की उम्मीद अलग-अलग होती है। आपके लिए बेहतर होगा कि आप कार्पाेरेट कल्चर सीखकर जल्द से जल्द अपना लें।

समय के पाबंद रहें:

ऑफिस हमेशा तय समय पर पहुंच जाएं। यदि आपको देर होने वाली है तो तत्काल फोन पर सूचित करें। बीमार पड़ें तो भी तुरंत बताएं। इसमें भी सावधानी बरतें कि जिस दिन कोई महत्वपूर्ण काम हो उस दिन तो ऑफिस में जरूर मौजूद रहें।

सहकर्मियों से अच्छे संबंध रखें:

अपने सहकर्मियों के साथ मधुर संबंध बनाकर रखें। विनम्र, सहयोगी, संवदेनशील और दोस्ताना व्यवहार से आपको संबंध बनाने में मदद मिलेगी। बातचीत कर ही सहकर्मियों को जान पाएंगे।

और काम मांगें:

ऑफिस में व्यवहार सामान्य रखें। आपको कोई जिम्मेदारी दी जाती है तो बिना शिकायत स्वीकार करें। हमेशा कोशिश करें कि समय पर काम पूरा कर दें। यदि आप अपने काम से संतुष्ट हैं तो नया काम मांगें।

रिकमंडेशन लेटर जरूर लें:

इंटर्नशिप पूरी करके जाते समय अपने सुपरवाइजर से रिकमंडेशन लेटर यानी सिफारिशी पत्र जरूर ले लें। उससे हमेशा संपर्क में भी रहें। कहीं भी नौकरी के लिए आवेदन करते वक्त रिफरेंस यानी संदर्भ के लिए उनका नंबर दे सकते हैं।

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