
-उमेश पाठक
दोस्तों ! जिंदगी बड़ी अजीब है ओर ये कब क्या रूप ले लेगी ये कोई भी नही जानता! मिलना-बिछड़ना भी जिंदगी का एक हिस्सा है !ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म आनंद में एक संवाद है-"जिंदगी और मौत तो ऊपर वाले के हाथ में है,हम सब उसके हाथ की कठपुतलियां है,कब ,कौन कैसे उठेगा कोई नहीं जानता !"मिलना -बिछड़ना भी इसी नियम के अंदर है ! कब कौन कहाँ मिले-बिछड़े ये भी उसी नियति पर ही निर्भर करता है ! मशहूर शायर निदा फाजली ने सच ही कहा है-
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफर के हम हैं!
रूख हवाओं का ,जिधर का है,उधर के हम हैं !
काफी समय के बाद किसी से मिलना तो सबको अच्छा लगता है लेकिन कोई ऐसा जिससे ,आप जेहनी तौर पर जुड़े हों और वर्षों से उसका कुछ पता न हो....एक दिन अचानक ...फोन की घंटी......और फिर मिल-बैठ कर माजी (अतीत ) को कुरेदना /महसूस करना ........एक अजीब सुखद अनुभूति होती है न? पिछले हफ्ते कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ!भला हो मेरे ब्लॉग का जिसके कारण उसे मुझे ढूढने में सफलता मिली ! दोस्तों जिंदगी में यार -साथी बहूत से होते हैं लेकिन मित्र एक -दो ही मिलते हैं,जिनसे आप अपनी बातें कह-सुन सकें ! सच में ये तकनीकी कभी-कभी कितनी सुखद हो उठती है ,इसका एहसास हो रहा था ! पुरानी यादों को देख कर मौसम भी मेहरबान था और दिल्ली के तपते वातावरण को अपनी यादों की ठंडी फुहारें दे रहा था ,मतलब बारिश शुरू हो गयी ! काफी के प्याले इस बारिश में कुछ अधिक ही आनंद बढ़ा रहे थें !दो और पुराने मित्रों की मुलाकात ने तो इस वक्त को ओर भी यादगार बना दिया !वर्षों के बाद शुरू हुयी बात -चीत के बीच कब वक्त ने अपनी मज़बूरी जता दी ......पता ही नहीं चला ! वक्त रुकता नहीं कही टिक कर ,इसकी आदत भी आदमी सी है और वक्त की मजबूरियों के साथ पुरानी यादों को दामन में समेटे हम वापस लौटे अतीत से वर्तमान की ओर ,जहाँ रोज़ी-रोटी का चक्कर हमें सबसे दूर किये रहता है और अपने हिसाब से वक्त हमें दौड़ाता है ! इस परिस्थिति में बशीर बद्र की ये पक्तियां सामयिक लगती हैं-
"मै हर लम्हे में सदियाँ देखता हूं, तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत है ! "
उसी बौद्धिक मित्र के सहयोग से उधार की ये पक्तियां आप के लिए प्रस्तुत कर पा रहा हूं.सुनिए ओर गुनिये !
एक नाज़ुक एहसास !अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफर के हम हैं!
रूख हवाओं का ,जिधर का है,उधर के हम हैं !
काफी समय के बाद किसी से मिलना तो सबको अच्छा लगता है लेकिन कोई ऐसा जिससे ,आप जेहनी तौर पर जुड़े हों और वर्षों से उसका कुछ पता न हो....एक दिन अचानक ...फोन की घंटी......और फिर मिल-बैठ कर माजी (अतीत ) को कुरेदना /महसूस करना ........एक अजीब सुखद अनुभूति होती है न? पिछले हफ्ते कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ!भला हो मेरे ब्लॉग का जिसके कारण उसे मुझे ढूढने में सफलता मिली ! दोस्तों जिंदगी में यार -साथी बहूत से होते हैं लेकिन मित्र एक -दो ही मिलते हैं,जिनसे आप अपनी बातें कह-सुन सकें ! सच में ये तकनीकी कभी-कभी कितनी सुखद हो उठती है ,इसका एहसास हो रहा था ! पुरानी यादों को देख कर मौसम भी मेहरबान था और दिल्ली के तपते वातावरण को अपनी यादों की ठंडी फुहारें दे रहा था ,मतलब बारिश शुरू हो गयी ! काफी के प्याले इस बारिश में कुछ अधिक ही आनंद बढ़ा रहे थें !दो और पुराने मित्रों की मुलाकात ने तो इस वक्त को ओर भी यादगार बना दिया !वर्षों के बाद शुरू हुयी बात -चीत के बीच कब वक्त ने अपनी मज़बूरी जता दी ......पता ही नहीं चला ! वक्त रुकता नहीं कही टिक कर ,इसकी आदत भी आदमी सी है और वक्त की मजबूरियों के साथ पुरानी यादों को दामन में समेटे हम वापस लौटे अतीत से वर्तमान की ओर ,जहाँ रोज़ी-रोटी का चक्कर हमें सबसे दूर किये रहता है और अपने हिसाब से वक्त हमें दौड़ाता है ! इस परिस्थिति में बशीर बद्र की ये पक्तियां सामयिक लगती हैं-
"मै हर लम्हे में सदियाँ देखता हूं, तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत है ! "
उसी बौद्धिक मित्र के सहयोग से उधार की ये पक्तियां आप के लिए प्रस्तुत कर पा रहा हूं.सुनिए ओर गुनिये !
मिटटी के जितने घर में बानाता चला गया..
एक शख्स खफा हो के गिराता चला गया..
वो मुझ से बहूत दूर-दूर भागता रहा..
जितने मैं उस के नाज़ उठाता चला गया..
एक मेरे ही वास्ते उसे ने दर्द रखे थे ,
बाकी तो वो हर एक को हंसाता चला गया..
थी हाथ में ताक़त, पर दिल ही नहीं माना,
उस के सिवा मैं सब को हराता चला गया..
दिल में उसकी याद के जितने चिराग थे ,
उनको भी सितमगर वो बुझाता चला गया..
बहुत उम्दा पंक्तियाँ हैं!!
जवाब देंहटाएंBAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंBADHAI AAP KO IS KE LIYE
SHEKHAR KUMAWAT
ओह्…………………गज़ब के भाव समेटे हैं।
जवाब देंहटाएंआप जैसे शब्दों के जादूगर के सामने लफ्ज़ ही नहीं है मेरे पास...
जवाब देंहटाएंएहसास को इतनी खूबसूरती से ब्लॉग पर उकेरा है की रंग और भी गहरा हो गया है, लम्हे को शब्दों में सजाना कोई आपसे सीखे!!!
दुआ करते हैं की वक़्त की शाख पर ऐसे लम्हे बार-बार आये !!!
life is beyond the answers we keep looking for! amazing write up umesh ji...keep writing :)
जवाब देंहटाएंआप सभी की बहुमूल्य टिप्पणियों के लिए ह्रदय से आभार !
जवाब देंहटाएंthis para is touching the heart.
जवाब देंहटाएंapne dil k ehsaason ko sahi shabdo k sath batana har kisi ke bus ki baat nai hoti.........sir u hv done it very beautifully.awsome....keep it up..........SONIKA
जवाब देंहटाएंKaise aap dil ki baat ko itna khubsurti se likh pate hai.....kaash muje bhi aata.....
जवाब देंहटाएंjo bhi likha hai....dil ko sukoon dene wala hai.....