
(हर इंसान के दिल में कुछ न कुछ अनुभूतियाँ होती हैं और वह उसे किसी न किसी रूप में व्यक्त करने की कोशिश करता है ......लीजिये एक ईमानदार कोशिश ,आपके सामने प्रस्तुत है ) - उमेश पाठक
दर्दों का एक जखीरा सैलाब बन गया !
जी लेंगे,खुश रहेंगे बस खाब बन गया!
दुशवारियां यू बढ़ गयीं हयात की मेरी,
बादल जो था ख़ुशी का वो आब बन गया !
होटों पे हंसी मेरे ,पलकों में छुपे आंसू
ये दर्द भी अब देखो नायाब बन गया !
गमगीं कोई हो ,मुझसे ये हो न पाया यारों ,
खुद दर्द मेरे ज़ख्म का ज़वाब बन गया !
कुछ जोड़ना घटाना ,फितरत नही थी मेरी,
घाटे में जिंदगी का हिसाब बन गया !
गहन भावों में गुथी रचना.
जवाब देंहटाएंAAP KI GAZAL HAMARE SAWALO KA SWAAB GAYA
जवाब देंहटाएंSHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/