
पूरी हो हर बात जो दिल में आपने पाली हो!
मंगलमय हम सबकी हर बार दिवाली हो !
असतो माँ सद गमय ,अर्थात अन्धकार से प्रकाश की और ले चलो!अंधकार और प्रकाश जो सत्य और असत्य के प्रतीक हैं,इनको मान कर हम दीपावली को सत्य की असत्य पर विजय के रूप में मनातें हैं!बचपन से आज तक हम इस पर्व को मनाते आ रहें हैं जिसमे दीप जलना मिठाई बाँटना (मिठाई के साथ पहले प्रेम भी शामिल हुआ करता था ) शामिल है! मगर आज इस पर्व के मायने भी बदलते नज़र अ रहें हैं !मिठाई के डबे जहाँ दिखावे के प्रतीक होते जा रहें हैं वहीँ प्रेम भी पैसे और दिखावे के बीच कहीं दब गया है !हम सब आज बाज़ार की गिरफ्त में हैं जहा शुभकामनायें भी बाजार का हिस्सा हैं!( ब्रांडेड ग्रीटिंग कार्ड्स के रूप में ) ऐसे परिवेश में स्वयं को सँभालते हुए मै आप सभी को इस प्रकाशपर्व की शुभकामनाएं देता हू ! - उमेश पाठक
दीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी से साहित्य जगत जगमगाए।
लक्ष्मी जी आपका बैलेंस, मंहगाई की तरह रोड बढ़ाएँ।
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