शुक्रवार, अगस्त 21, 2009

माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।


"इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।

अभी ज़िंदा है माँ मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है

ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया

लबों पर उसके कभी बददुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे खफ़ा नहीं होती

‘मुनव्वर‘ माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती"

किसी के हिस्से घर ,किसी के हिस्से दुकाँ आयी ,
मै घर में सबसे छोटा था ,मेरे हिस्से में माँ आयी !

यू तो जिंदगी में बुलंदियों का मकाम छुआ,
माँ ने जब गोद में लिया तो आसमान छुआ !

.....माँ पर कुछ और शेर/दोहे :

मैं रोया परदेश में भीगा माँ का प्यार!
दुःख ने दुःख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार !
****
ठंडक माँ के नाम की गर्मी को शरमाये!
ममता के अंचल से धुप भी छन के आए!
***
माँ फितरत की रौनकें ,माँ कुदरत का राज़ !
माँ हर्फों की शायरी ,माँ सांसो का साज़ !

{भाई श्यामल सुमन जी के`सौजन्य से, ये शेर उन्ही की टिप्पणी से हैं }

..दोस्तों माँ के ऊपर हजारो कवितायें हैं रसियन साहित्यकार मेक्सिम गोर्की ने अपनी किताब "माँ "में लिखा है-"Mothers are the dearest things of the world one can talk endless about the mothers and their protective instinct."माँ के इस अनोखे रिश्ते को आइये महसूस करें मुनव्वर राणा की इन पक्तियों में -उमेश पाठक

3 टिप्‍पणियां:

  1. माँ के बारे में एक शानदार रचना है ये

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  2. चलिए पाठक जी मैं भी कुछ पंक्तियाँ, जो कि अलग अलग लोगों द्वारा माँ पर लिखे गए हैं, जोड़ देता हूँ-

    माँ फितरत की मौसमें माँ कुदरत के राज
    माँ हर्फों की शायरी माँ साँसों का साज

    माँ के दिल को तोड़कर रहा न कोई शाद
    माँ हो जिस पर मेहरबाँ उसका घर आबाद

    ठंढ़क माँ के नाम की गरमी को शरमाए
    ममता के आँचल से धूप भी छनकर आए

    मैं रोया परदेश में भींगा माँ का प्यार
    दिल ने दिल से बात की बिन चि्टठी बिन तार

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  3. मेरी माँ
    'माँ' जिसकी कोई परिभाषा नहीं,
    जिसकी कोई सीमा नहीं,
    जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है
    जो मेरे दुख से दुखी हो जाती है
    और मेरी खुशी को अपना सबसे बड़ा सुख समझती है जो मेरा आदर्श है
    जिसकी ममता और प्यार भरा आँचल मुझे
    दुनिया से सामना करने की ‍शक्ति देता है
    जो साया बनकर हर कदम पर
    मेरा साथ देती है
    चोट मुझे लगती है तो दर्द उसे होता है
    मेरी हर परीक्षा जैसे
    उसकी अपनी परीक्षा होती है
    माँ एक पल के लिए भी दूर होती है तो जैसे
    कहीं कोई अधूरापन सा लगता है
    हर पल एक सदी जैसा महसूस होता है
    वाकई माँ का कोई विस्तार नहीं
    मेरे लिए माँ से बढ़कर कुछ नहीं।

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