शुक्रवार, मई 01, 2009

दर्द जब साथ है....


उमेश पाठक
इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा होगा जो कभी रोया नही हो ,हर इन्सान कभी न कभी आहत या घायल हो कर ,दुःख से घबरा कर ,रोता ज़रूर है!कहते हैं की रोने से दुःख कम हो जाता है,जी हल्का हो जाता है!ये काफी हद तक सच भी है,लेकिन सबसे करीबी मित्र को अपना दुःख बताने पर दुःख बहुत हद तक हल्का हो जाता है और यह अनुभव की बात है!इस संसार के दुखों को देख कर कभी गौतम बुद्ध ने इसे दुखों का सागर कहा था!आसुओं का इन्सान से सबसे करीब का रिश्ता है ! जब मुसीबतें आती हैं तो यार- दोस्त ,सगे सम्बन्धी से पहले आंसू ही आते हैं!हमें कभी भी उन्हें बुलाना नही पड़ता है,वास्तव में ये आंसू दिल की बात कह देते हैं! बिना बोले अभिव्यक्ति का यह सबसे पुराना तरीका है!जिनका दिल मज़बूत होता है वो ही आसुओं को रोक सकतें हैं और आंसू रोकने वाला शख्स हिम्मती और बड़े दिल वाला होता है!
जो अश्क छलक जाए आंखों से,वो अश्क नही है पानी है,
जो आस्क न छलके आंखों से उस अश्क की कीमत होती है!
गुलशन की फकत फूलों से नही ,काँटों में भी जीनत होती है!
जीने के लिए इस दुनियामे गम की भी ज़रूरत होती है!

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