
थका हारा इन्सान जब तपती धूप में थक कर किसी घने बरगद की छावं में विश्राम करता है,ऐसे में जो अनुभव होता है वैसा ही पिता के साए का भी अनुभव होता है!सचमुच कितना सुकून मिलता है जब तक सर पर पिता का साया होता हैआज इसे मै बड़ी शिद्दत से महसूस कर रहा हूं !दर्द आंखों में रुक जाए तो वो शक्ति बन जाता है! ऐसे वक्त में ही हमें आंसुओं की कीमत मालूम होती है !थोड़े शब्दों में ही बहुत कुछ कह देने की बाबूजी की बातें अब समझ में आ रही है!बाबूजी की अंत्येष्टि में लोगों की भीड़ देख कर उनकी एक सीख बार-बार याद आ रही थी-
"ज़िन्दगी में पैसा थोड़ा कम ही कमाना ,मगर कुछ आदमी ज़रूर कमाना."
(२४.०३.२००९,मंगलवार को बाबूजी के न रहने पर... - उमेश पाठक )
sahi kaha bandhuwar...
जवाब देंहटाएंसच कहा ..
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा ... बाबूजी को विनम्र श्रद्धांजलि ... ईश्वर आपको इस कष्ट को सहने की शक्ति दें।
जवाब देंहटाएंbhaiya jan kar dhuk huya per is dukh ko 5 sal pahlay mai mahsush kar chuka hu.yeh dukh puri tarah byaktigat hota hai wahi mahsus karta hai jo is say gujarta hai.maata jee ka dhyan day
जवाब देंहटाएंनमन ...................................
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